अनमोल है जिंदगी..
नहीं है कोई कश ये सिगरेट का, जिसे धुआँ बना के उड़ा दो तुम ! न मयखाने की मय है कोई, जिसे प्यालों में डाल गटक लो तुम ! ये एक अनचाहा ख़्वाव है पर है हसीं, मिले नसीब वालों को ये जिंदगी ! कहीं है दरिया बहता हुआ कोई, कहीं है तपिश ये धूप की! तो कहीं है मनाली की ठण्ड सी.. कहीं है रेत सी उड़ती हुई, तो कहीं है दलदल में फिसलन कोई कहीं है किसी भूखे की भूख, तो कभी प्यासे की प्यास है, जिनकी आँखो की रोशनी ना हो, उनका लाठी पे विश्वास है जिंदगी, नहीं ये तमाशा कोई जिसे, खुद से खत्म किया जाये, ये तो वो है जो गर दिल से जी जाये, तो साँसे भी कम पड़ जायें, किसी डूबते के लिये किनारा है जिंदगी, तो किसी अपाहिज को बैसाखी का सहारा है ये जिंदगी!!. उनसे पूछो जिनका सब कुछ हो छूटता हुआ, उनके लिये कितनी अनमोल है जिंदगी!! Writer Asmita singh..