चुप रह जाती हैं

 हाँ सच है कि ये स्त्रियां बहुत कुछ छुपाती है

दर्द अपना चुपचाप सह जाती है

रसोई घर में पका के भोजन सबका

खुद भी पक्की हो जाती है,

चोट लगने पर भी इनके

किसी को नहीं दिखाती हैं

कुछ स्त्रियां न जाने क्यूँ इतनी

पक्की पड़ जाती हैं

चूल्हे की लौ के साथ जला के अरमान अपने

क्यूँ अपने सपनो को ये भुलाती हैं

क्यूँ कुछ स्त्रियां अपना ही

अस्तित्व मिटाती हैं

लगी रहती हैं सबकी देखभाल में

बस खुद को ये भूल जाती हैं

क्यूँ ये अपना हाल अपनों को

बता नहीं पाती हैं

लेकिन सुनो ये कमजोर नहीं होती कभी

यही तो वो होती हैं जो बक्त के साथ

मजबूत बना दी जाती हैं

जिंदगी के ताने बाने को

ये खूबसूरती से बुन जाती हैं

बस छुपाती हैं अपने पल्लू में

अपने बिखरे बालों को अकसर

सारी चिंता को ये बालों के जूड़े

में बाँध के रख लेती हैं

क्यूँ ये स्त्रियां ऐसी होती हैं

सींचती हैं रिश्तों को उम्र भर

निभाती हैं सब को फिर भी

एक साथ सब नहीं संभाल पाती हैं

इक को समेटती हैं तो इक को

बिखरा पाती हैं,,

ये स्त्रियां क्यूँ इक उम्र पर

अपनी उम्र तक भूल जाती हैं...


Writer

Asmita singh..


#women's #why #feeling 

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