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Showing posts from October, 2022

जाने क्यूँ

 क्या सोच के मन घबराता है न जाने ये क्या चाहता है हम एक ही नाव (जिंदगी) में बैठे हैं फिर किस पार हम जाना चाहते हैं सृष्टि भी सारी एक सी हैं इंसान भी एक ही जैसा हैं मन से प्राणी विचलित हैं सूरत भी मिलती जुलती है सीरत है सबकी अलग अलग रास्ते भी है जुदा जुदा सबको अपने पथ पर चलना है खुद का ही साथी बनना है  सब खाली हाथ ही आएं है सब खाली हाथ ही जायेंगे फिर क्या ये इंसा चाहता है मन में कोहराम है मचा हुआ न जाने किस होड़ में सबको जीना है

चुप रह जाती हैं

 हाँ सच है कि ये स्त्रियां बहुत कुछ छुपाती है दर्द अपना चुपचाप सह जाती है रसोई घर में पका के भोजन सबका खुद भी पक्की हो जाती है, चोट लगने पर भी इनके किसी को नहीं दिखाती हैं कुछ स्त्रियां न जाने क्यूँ इतनी पक्की पड़ जाती हैं चूल्हे की लौ के साथ जला के अरमान अपने क्यूँ अपने सपनो को ये भुलाती हैं क्यूँ कुछ स्त्रियां अपना ही अस्तित्व मिटाती हैं लगी रहती हैं सबकी देखभाल में बस खुद को ये भूल जाती हैं क्यूँ ये अपना हाल अपनों को बता नहीं पाती हैं लेकिन सुनो ये कमजोर नहीं होती कभी यही तो वो होती हैं जो बक्त के साथ मजबूत बना दी जाती हैं जिंदगी के ताने बाने को ये खूबसूरती से बुन जाती हैं बस छुपाती हैं अपने पल्लू में अपने बिखरे बालों को अकसर सारी चिंता को ये बालों के जूड़े में बाँध के रख लेती हैं क्यूँ ये स्त्रियां ऐसी होती हैं सींचती हैं रिश्तों को उम्र भर निभाती हैं सब को फिर भी एक साथ सब नहीं संभाल पाती हैं इक को समेटती हैं तो इक को बिखरा पाती हैं,, ये स्त्रियां क्यूँ इक उम्र पर अपनी उम्र तक भूल जाती हैं... Writer Asmita singh.. #women's #why #feeling 

बेबसी

 पिछले कुछ समय में वक़्त ने क्या-क्या बता दिया अपनों को अपनों का सच दिखा दिया, महामारी के दौर में सब कुछ लुटा दिया कोरोना के काल में जीवन तक गवा दिया, दूरियां आ गई रिश्तो में इससे  कि अर्थी को अपनों का कांधा तक नसीब न हुआ  छिन गया कारोबार, बिखर गया संसार और कहीं तो ऐसा भी हुआ कि उजड़ गया पूरा परिवार.. कभी साथ में जीते थे, गम एक दूसरे का पीते थे. आज बैरी बन के बैठे है जो एक ही कुल के बेटे है.. ये कोरोना ऐसा आया था इक झोंके में सब उजड़ गया भरा पूरा संसार देखो कैसे बिखर गया... Writer. Asmita singh #corona #majburi

किसे पता

 किसे पता क्या होना है क्या मिलना है क्या खोना है क्या सोच के तू घबराता है रे मनवा तू क्या चाहता  है जो होना है वो होता है कब कौन चैन से सोता है जो इक पल हँस कर जीता है वो अगले ही पल रोता है सब इश्वर की ही माया है जो भाग्य में है वो ही होता है ये बात है बस किस्मत की जो मिलना है वो मिलता है लेकिन कर्मो का भी लेखा जोखा है जो करता है वो फल  भी पाता है जो सोता है वो खोता है हँस ले गा ले जी ले जिंदगी जिंदादिली से किसे पता अगले ही पल क्या होता है... किसे पता...... मैंने देखा है अपने आस पास  बहुत कुछ हो जाता है इंसान की जिंदगी में जो वो नहीं सोचता, कभी कोई अपना बहुत दूर चला जाता है, कभी कोई हादसा इंसान को तोड़ जाता है. तो जो पास है वो अनमोल है उसकी कदर करो.. जो है वो एक खूबसूरत तोहफा है... जी लो जिंदगी जो है वो आज है.. किसे पता.... Writer Asmita singh #jindgi #jindadili #life #asmiwords Follow and comment if you like.....

जिंदगी

 वो बीत गयी जो बात गयी,  तारे क्या डूबे रात गयी.  सूरज ले आया भोर नई, धुंधली सी चादर ओढ़े, किरणे ले आयी धूप नई, ताना बाना बुनकर अपना इंसा ने खेली जंग कई, कहीं हार मिली पथ दर पथ पर, कहीं जीत किसी को आपार मिली, मैं राही हूँ इस मंजिल की , जिस राह में है पथवार कई, मैं थमी हूँ कई बार, गिरी भी हूँ  पर संभल गयी फिर रुकी नहीं. ये दुनिया है बेरंगी यहाँ बहुत गलत भी है, पर मैं गलत के आगे झुकी नहीं, देख न जिंदगी मैं कभी रुकी नहीं.. Writer Asmita singh