जिंदगी

 वो बीत गयी जो बात गयी,

 तारे क्या डूबे रात गयी.

 सूरज ले आया भोर नई,

धुंधली सी चादर ओढ़े,

किरणे ले आयी धूप नई,

ताना बाना बुनकर अपना

इंसा ने खेली जंग कई,

कहीं हार मिली पथ दर पथ पर,

कहीं जीत किसी को आपार मिली,

मैं राही हूँ इस मंजिल की ,

जिस राह में है पथवार कई,

मैं थमी हूँ कई बार, गिरी भी हूँ 

पर संभल गयी फिर रुकी नहीं.

ये दुनिया है बेरंगी

यहाँ बहुत गलत भी है,

पर मैं गलत के आगे झुकी नहीं,

देख न जिंदगी मैं कभी रुकी नहीं..

Writer

Asmita singh




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